
कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ी से उछाल देखा गया, जब अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव ने वैश्विक बाज़ार में हलचल मचा दी।
ब्रेंट क्रूड 5% की तेजी के साथ 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जो अप्रैल के बाद इसका उच्चतम स्तर है।
वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) ने भी तेज़ी दिखाते हुए कई महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
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ट्रंप की चेतावनी: “ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिलेगा”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सख्त बयान में कहा,
“ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकता। अगर कूटनीति फेल हुई तो सैन्य विकल्प खुले हैं।”
ट्रंप ने साथ ही यह भी बताया कि उन्होंने मध्य-पूर्व में तैनात अमेरिकी कर्मियों के परिवारों की वापसी की अनुमति दी है, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसराइल और ईरान भी आमने-सामने
ईरान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि अगर उन पर हमला हुआ, तो वे “बिना किसी हिचक” अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएंगे।
वहीं इसराइल ने इसे ईरान पर हमला करने का “सही मौका” बताया है।
इन बयानों के बाद कच्चे तेल के बाज़ार में तुरंत असर देखने को मिला और निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई।
परमाणु डील की डेडलाइन खत्म, अनिश्चितता चरम पर
ट्रंप ने ईरान को नई परमाणु डील के लिए 60 दिन की डेडलाइन दी थी, जो गुरुवार को समाप्त हो रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई समझौता होता है या अमेरिका सैन्य कार्रवाई की तरफ कदम बढ़ाता है।
तेल बाजार पर तगड़ा असर, निवेशक सतर्क
बढ़ते तनाव के कारण न केवल कीमतें बढ़ी हैं, बल्कि बाजार में वोलैटिलिटी और डर भी बढ़ा है। निवेशक अब सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।
“यदि तनाव बढ़ा, तो कीमतें और ऊपर जा सकती हैं,”
क्या मतलब है भारत के लिए?
भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए यह उछाल महंगाई और बजट घाटे पर दबाव डाल सकता है। घरेलू ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका भी बनी हुई है।
अमेरिका-ईरान तनाव, परमाणु समझौता असफलता की संभावना, और मध्य-पूर्व की बढ़ती अस्थिरता – इन तीनों का मिला-जुला असर आने वाले दिनों में तेल बाजार को और अस्थिर कर सकता है।